Bhajan

मंगळवार, २३ एप्रिल, २०२४

निजरूप दाखवा हो - Nijrup Dakhava Ho

निजरूप दाखवा हो |
हरि दर्शनास द्या हो || धृ ||

अवरुद्ध साद माझा | प्रतिसाद त्यास द्या हो |
आला गजेंद्र मोक्षा | तैसे पुनश्च या हो |
जळत्या निळ्या वीजेची | प्रभू एक झेप घ्या हो || १ ||

नरसिंह होवुनीया | घुमवीत गर्जनासी |
शतसूर्य तेज दावा | अज्ञात या जनासी |
भ्याला समुद्र क्रोधा ते रामचंद्र व्हा हो || २ ||

पार्थास दाविले ते | प्रभू विश्वरूप दावा |
मुरली मनोहरा या | व्हा वाजवीत पावा |
एका करांगुलीने | गोवर्धना धरा हो || ३ ||

राज:भ्रमा पटू द्या | प्रत्यक्ष एकवार |
श्रीकृष्ण-विष्णू-राम | तोचि विठू महार |
जाळी तनामनासी | ती आग शांतवा हो || ४ ||


Nijrup Dakhava Ho | Hari Darshanas Ya Ho ||

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