Bhajan

शनिवार, १४ ऑक्टोबर, २०२३

शनिदेवाची आरती - Shanidevachi Aarati | जय जय श्रीशनिदेवा | Jay Jay Shrishanideva |

शनिदेवाची आरती

जय जय श्रीशनिदेवा |
पद्मकर शिरी ठेवा |
आरती ओवाळिती |
मनोभावे करुनी सेवा || धृ ||

सूर्यसुता शनीमूर्ती |
तुझी अगाध कीर्ती |
एक मुखे काय वर्णू |
शेषा न चले स्फूर्ती || जय ||

नवग्रहांमाजी श्रेष्ठ |
पराक्रम थोर तुझा |
ज्यावरी कृपा करिसी |
होय रंकाचा राजा || जय || २ ||

विक्रमासारीखा हो |
शककर्ता पुण्यराशी |
गर्व धरितां शिक्षा केली |
बहु छळियले त्यासी || जय || ३ ||

शंकराच्या वरदाने |
गर्व रावणे केला |
साडेसाती येतां त्यासी |
समूळ नाशासी नेला || जय || ४ ||

प्रत्यक्ष गुरुनाथा |
चमत्कार दावियेला |
नेऊनि शूलापाशी |
पुन्हा सन्मान केला || जय || ५ ||

ऐसे गुण किती गाऊ |
धनी न पुरे गातां |
कृपा करी दीनावरी |
महाराजा समर्था || जय || ६ ||

दोन्ही कर जोडूनिया रखमां |
लीन सदा पायीं |
प्रसाद हाची मागे |
उदयकाळ सौख्य दावी |
जय जय श्री शनिदेवा |
पद्मकर शिरी ठेवा || ७ || 

शनिदेवाची आरती - Shanidevachi Aarati | जय जय श्रीशनिदेवा | Jay Jay Shrishanideva |

कोणत्याही टिप्पण्‍या नाहीत:

टिप्पणी पोस्ट करा