Bhajan

शुक्रवार, २० ऑक्टोबर, २०२३

दुर्गेची आरती - दुर्गे दुर्घट भारी तुजवीण संसारी | Durge Dughat Bhari Tujvin Sansari |

दुर्गेची आरती

दुर्गे दुर्घट भारी तुजवीण संसारी |
अनाथनाथे अंबे करुणा विस्तारी |
वारी वारी जन्ममरणाते वारी |
हरी पडलो आता संकट निवारी || १ ||
जय देवी जय देवी महिषसूरमथिनी |
सुरवरईश्वरवरदे तारक संजीवनी जय देवी जय देवी || धृ ||

त्रिभुवन भुवनी पाहता तुजऐसी नाही |
चारी श्रमले परंतु न बोलवे काही |
साही विवाद करिता पडिले प्रवाही |
तें तू भक्तालागी पावसी लवलाही || जय || २ ||

प्रसन्नवदने प्रसन्न होसी निजदासा |
क्लेशापासुनि सोडावि तोडी भवपाषा |
अंबे तुजवाचून कोण पुरविल आशा |
नरहरी तल्लिन झाला पदपंकजलेशा | || ३ ||
जय देवी जय देवी जय महिषासुरमथिनी |
सुरवरईश्वरवरदे तारक ||

दुर्गेची आरती 

दुर्गे दुर्घट भारी तुजवीण संसारी | 

Durge Dughat Bhari Tujvin Sansari |

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