ॐ त्र्यम्बकं यजामहे
सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान्
मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥
Om Tryambakam Yajamahe
Sugandhi Pushtivardhanam ।
Urvarukmiv Bandhanan
Mrutyormukshiy Mamrutat ॥
भजन साहित्य खजिना - प्रार्थना, भजन, रुपावली, ध्यानाचा अभंग, गजर, अभंग, गौळण, भैरवी, कव्वाली
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